ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग – ओंकारेश्वर का अद्वितीय शिवधाम
परिचय
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का एक पवित्र धाम है, जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिन्न अंग माना जाता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि मान्यता के अनुसार, बिना ममलेश्वर के दर्शन के ओंकारेश्वर यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती। नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित यह मंदिर अपनी भव्यता, आध्यात्मिक ऊर्जा और ऐतिहासिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं को विशेष आकर्षित करता है।
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
- ममलेश्वर को अमरेश्वर और ओंकारेश्वर का पूरक कहा जाता है।
- स्कंद पुराण, शिव पुराण और अन्य ग्रंथों में इस ज्योतिर्लिंग का उल्लेख मिलता है।
- मान्यता है कि यहाँ पूजन-अर्चना करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित धरोहरों में से एक है।
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास और पौराणिक कथाएँ
- कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहाँ तपस्या कर रहे ऋषियों को दर्शन दिए और इस स्थान को पवित्र बनाया।
- एक मान्यता के अनुसार, यहाँ भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे और उन्होंने भक्तों को आशीर्वाद दिया था।
- यह भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने यहाँ अपने गुरुओं से वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था।
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की विशेषताएँ
- प्राचीन शिवलिंग: ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग अत्यंत प्राचीन और पौराणिक शिवलिंगों में से एक है।
- भव्य स्थापत्य: मंदिर का निर्माण प्राचीन नागर शैली में किया गया है, जिसमें सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।
- नर्मदा के समीप स्थित: यह मंदिर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है।
- संपूर्ण ओंकार क्षेत्र का अभिन्न भाग: बिना ममलेश्वर के दर्शन के ओंकारेश्वर यात्रा अधूरी मानी जाती है।
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि और आरती समय
मंदिर में प्रतिदिन नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।
- मंगला आरती – प्रातः 5:30 बजे
- श्रृंगार आरती – प्रातः 8:00 बजे
- मध्याह्न आरती – दोपहर 12:00 बजे
- संध्या आरती – सायं 7:00 बजे
- शयन आरती – रात्रि 9:00 बजे
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग तक कैसे पहुँचे?
निकटतम प्रमुख स्थान:
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – 1 किमी
- नर्मदा नदी – समीपस्थ
- इंदौर – 77 किमी
- खंडवा रेलवे स्टेशन – 72 किमी
ओंकारेश्वर पहुँचने के लिए इंदौर, खंडवा और अन्य प्रमुख स्थानों से सड़क मार्ग उपलब्ध है।
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ
- मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से समस्त पापों का नाश होता है।
- यहाँ रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप करवाने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
- यह मंदिर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का ही एक अंग माना जाता है, अतः बिना यहाँ दर्शन किए यात्रा अधूरी मानी जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग कहाँ स्थित है?
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में, नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है।
2. क्या ममलेश्वर और ओंकारेश्वर अलग-अलग ज्योतिर्लिंग हैं?
हालाँकि कुछ मान्यताओं के अनुसार ओंकारेश्वर ही एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, लेकिन शिव पुराण में ममलेश्वर को भी इसका अभिन्न अंग माना गया है।
3. ममलेश्वर मंदिर में विशेष पूजा कैसे करवाई जा सकती है?
भक्त मंदिर प्रबंधन से संपर्क कर विशेष पूजा जैसे रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप आदि करवा सकते हैं।
4. ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का सही समय क्या है?
मंदिर प्रातः 5:30 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक खुला रहता है।
5. ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग में कौन-से धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं?
यहाँ अभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और विशेष श्रावण मास पूजा का आयोजन किया जाता है।
निष्कर्ष
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण मंदिर है। यहाँ भगवान शिव की आराधना से भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्राप्त होता है। यदि आप ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर हैं, तो ममलेश्वर के दर्शन अवश्य करें और शिव कृपा प्राप्त करें।