माँ नर्मदा परिक्रमा पड़ाव: एक पवित्र यात्रा के महत्वपूर्ण स्थल
माँ नर्मदा को हिन्दू धर्म में एक दिव्य नदी और देवी के रूप में पूजा जाता है। नर्मदा परिक्रमा एक अत्यंत पवित्र तीर्थयात्रा मानी जाती है, जिसमें श्रद्धालु नर्मदा नदी के दोनों किनारों की पैदल परिक्रमा करते हैं। यह परिक्रमा कठिन जरूर होती है, लेकिन इसे करने से जीवन में आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
परिक्रमा के दौरान कई महत्वपूर्ण पड़ाव आते हैं, जहाँ यात्री विश्राम करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और माँ नर्मदा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस ब्लॉग में हम नर्मदा परिक्रमा के प्रमुख पड़ावों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
माँ नर्मदा परिक्रमा क्या है?
नर्मदा परिक्रमा एक धार्मिक यात्रा है जिसमें श्रद्धालु नर्मदा नदी के उद्गम स्थान अमरकंटक से यात्रा शुरू करते हैं और पूरे नदी के दोनों किनारों की पैदल परिक्रमा करते हैं। यह यात्रा लगभग 3500 से 4000 किलोमीटर लंबी होती है और इसे पूरा करने में 6 महीने से 3 साल तक का समय लग सकता है।
इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण स्थान आते हैं, जहाँ यात्री रुकते हैं और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं। इन स्थानों को ही परिक्रमा पड़ाव कहा जाता है।
नर्मदा परिक्रमा के प्रमुख पड़ाव
1. अमरकंटक (नर्मदा उद्गम स्थल)
- नर्मदा नदी का जन्म स्थान।
- यहाँ नर्मदा कुंड और कपिल धारा स्थित हैं।
- परिक्रमा की शुरुआत और समापन यहीं होता है।
2. मंडला (मध्य प्रदेश)
- यह नर्मदा नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है।
- यहाँ कई मंदिर और घाट स्थित हैं।
- भगवान विष्णु और भक्त प्रह्लाद से जुड़े धार्मिक स्थल यहाँ मौजूद हैं।
3. जबलपुर (भेड़ाघाट और धुआंधार जलप्रपात)
- जबलपुर में संगमरमर की चट्टानों के लिए प्रसिद्ध भेड़ाघाट स्थित है।
- यहाँ धुआंधार जलप्रपात नर्मदा नदी की सुंदरता को बढ़ाता है।
- यहाँ चौंसठ योगिनी मंदिर और गुप्तेश्वर महादेव मंदिर दर्शनीय स्थल हैं।
4. बरमान घाट (नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश)
- यह स्थान नर्मदा नदी के प्रमुख धार्मिक घाटों में से एक है।
- यहाँ हर साल मकर संक्रांति पर मेला लगता है।
- साधु-संतों के लिए यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है।
5. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)
- यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- यहाँ ओंकारेश्वर मंदिर और ममलेश्वर मंदिर स्थित हैं।
- परिक्रमा यात्री यहाँ कुछ दिन रुककर माँ नर्मदा की पूजा करते हैं।
6. महेश्वर (मध्य प्रदेश)
- यह स्थान माँ अहिल्या बाई होल्कर की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है।
- यहाँ महेश्वर घाट और राजा किला प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
- नर्मदा परिक्रमा के दौरान यात्री यहाँ विश्राम करते हैं।
7. होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
- यहाँ सेतुबंध रामेश्वर मंदिर स्थित है।
- नर्मदा नदी के किनारे सुंदर घाटों के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है।
- श्रद्धालु यहाँ पूजा-पाठ करने के लिए रुकते हैं।
8. हरसिद्धि माता मंदिर (खंडवा, मध्य प्रदेश)
- यह एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है, जहाँ माँ हरसिद्धि की पूजा होती है।
- परिक्रमा करने वाले यात्री यहाँ रुककर देवी का आशीर्वाद लेते हैं।
9. नेमावर (मध्य प्रदेश)
- यह स्थान ऋषि मार्कंडेय की तपोभूमि मानी जाती है।
- यहाँ सिद्धेश्वर मंदिर और नर्मदा घाट प्रमुख आकर्षण हैं।
- परिक्रमावासियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
10. भरूच (गुजरात)
- यहाँ नर्मदा नदी अरब सागर में विलीन होती है।
- यह परिक्रमा का अंतिम पड़ाव माना जाता है।
- यहाँ नर्मदा माता का एक विशाल मंदिर स्थित है।
परिक्रमा के दौरान रुकने के नियम
- धर्मशालाएँ और आश्रम:
- परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु धर्मशालाओं या आश्रमों में रुकते हैं।
- कई संतों के आश्रम परिक्रमा मार्ग पर स्थित हैं।
- नदी किनारे विश्राम:
- कुछ यात्री सीधे नदी के किनारे रुककर ध्यान और साधना करते हैं।
- खुले आसमान के नीचे रुकने से परिक्रमा का आध्यात्मिक अनुभव और बढ़ जाता है।
- भिक्षा पर निर्भरता:
- परिक्रमा के दौरान भोजन के लिए श्रद्धालु भिक्षा पर निर्भर रहते हैं।
- लोग श्रद्धा से भोजन प्रदान करते हैं।
नर्मदा परिक्रमा के लाभ
- मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है।
- जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है।
- शरीर और मन को एक नया अनुभव प्राप्त होता है।
- भगवान शिव और माँ नर्मदा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
माँ नर्मदा परिक्रमा जीवन की सबसे कठिन लेकिन सबसे पवित्र यात्राओं में से एक है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु कई महत्वपूर्ण पड़ावों से गुजरते हैं, जहाँ वे माँ नर्मदा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
यदि आप भी इस दिव्य यात्रा का अनुभव लेना चाहते हैं, तो नर्मदा परिक्रमा का संकल्प लें और अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाएं।
"नर्मदे हर!"