प्राचीन वास्तुकला का अद्भुत नमूना
ओंकारेश्वर मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो 5वीं-6वीं शताब्दी में बना माना जाता है। यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है जिसमें मुख्यतः तीन भाग हैं:
- गर्भगृह - जहाँ स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है
- मंडप - 60 खंभों वाला विशाल हॉल
- शिखर - 100 फीट ऊँचा सोने से जड़ित शिखर
वास्तुकला के विशेष तत्व
1. ॐ आकार का द्वीप
मंदिर का सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि यह प्राकृतिक रूप से बने 'ॐ' आकार के द्वीप पर स्थित है। नर्मदा नदी ने अपने प्रवाह से यह आकृति बनाई है जिसे उपग्रह से भी देखा जा सकता है।
2. स्वयंभू शिवलिंग
मुख्य शिवलिंग प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ माना जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह तीन भागों में विभक्त है:
- ब्रह्मा (निचला भाग)
- विष्णु (मध्य भाग)
- शिव (ऊपरी भाग)
3. नंदी मंडप
मंदिर प्रांगण में स्थित विशाल नंदी की मूर्ति एक ही पत्थर से तराशी गई है। इसकी लंबाई 12 फीट और ऊँचाई 8 फीट है।
रहस्यमय तथ्य
1. गुप्त सुरंगें
स्थानीय मान्यता के अनुसार मंदिर के नीचे एक गुप्त सुरंग है जो अमरकंटक तक जाती है। अंग्रेजों के समय में इसकी खोज की गई थी।
2. स्वतः जलाभिषेक
कहा जाता है कि शिवलिंग पर सालभर प्राकृतिक रूप से जल टपकता रहता है, भले ही बाहर सूखा क्यों न हो।
3. अदृश्य शिल्पकार
मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियाँ इतनी सूक्ष्म हैं कि आधुनिक तकनीक से भी उनकी नकल करना मुश्किल है।
मंदिर के विशेष स्थान
स्थान | विशेषता |
---|---|
गर्भगृह | स्वर्ण जड़ित छत्र के नीचे शिवलिंग |
अर्धमंडप | भगवान गणेश की दुर्लभ प्रतिमा |
प्रदक्षिणा पथ | 64 योगिनियों की मूर्तियाँ |
FAQs
Q1. मंदिर का निर्माण किसने करवाया?
A: पुरातत्वविदों के अनुसार परमार वंश के राजाओं ने, परंतु स्थानीय मान्यता है कि इसका निर्माण देवताओं ने करवाया।
Q2. मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है?
A: गर्भगृह में नहीं, परंतु बाहरी परिसर में की जा सकती है।
Q3. शिवलिंग का आकार क्या है?
A: लगभग 4 फीट ऊँचा और 3 फीट व्यास वाला प्राकृतिक शिवलिंग।
निष्कर्ष
ओंकारेश्वर मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि प्राचीन भारतीय विज्ञान और वास्तुकला का जीवंत उदाहरण भी है। यहाँ की हर मूर्ति, हर पत्थर में कोई न कोई रहस्य छिपा है जो शोधकर्ताओं को आज भी आकर्षित करता है।
🚩 जय ओंकारेश्वर महादेव! 🚩
टिप: यदि आप रहस्यों में रुचि रखते हैं तो मंदिर के पुजारियों से जरूर बात करें - वे कई अद्भुत कथाएँ सुनाते हैं!